मंगलवार, 14 अप्रैल 2015

किसान हूँ भाई!

कार्टून साभार-Shyam Jagota

किसान हूँ भाई!

हर रोज लड़ता हूँ खुद से,
कुदरत से और सरकारी तमाचे से भी|
हर रोज स्वाहा हो जाता है फसलों का बोझा,
हर रोज बढ़ता जाता है कर्ज का बोझ,
हर रोज ही खेला जाता है हमसे,
अब तो हर रोज बनाया जाने लगा है हमारा मजाक भी,
100 रुपए की चेक से महीना तो निकल ही जायेगा?
भले ही 100 रुपए में वेश्या न माने,
पर मैं वेश्या भी तो नहीं,
मैं तो बस एक किसान हूँ|  

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